बुधवार, 4 मार्च 2009
भारत जाग रहा है !
सुनो भाई ,सुनो
धुआ हट रहा है
देश पर छाया कोहरा
पलों मे छट रहा है
जागो तुम्हे जागना ही होगा
चलो उठो, नींद से
अब नही, बस अब नही
अब जितना साफ़ और तेज़ सूरज है
उतना तुम्हे भी चमकना होगा
अपनी नई आज़ादी के साथ महकना होगा
अब
युद्ध
आतंकवाद
नाकामी
भ्रष्टाचार और सामजिक जड़ता तोड़ दो
तोड़ दो, इस बंधन की क़ैद को
तोड़ दो
अब तक जो भी हुआ उन सब को पीछे छोड़ दो
बस हुंकारा भरो
जय हिंद
जय हिंद
और उठ खड़े हो तुम्हे उठना ही होगा
अब कोई बेटा बिन मौत नही मरेगा
अब कोई बेबस माँ अपनी छाती नही पीटेगी
अब कोई बूढा बाप अपने ही कांधो पर अपनी लाश का बोझा नही ढोएगा
अब भारत जाग रहा है
सुनो भाई भारत जाग रहा है
अब कोई बच्चा अपना नंगा चेहरा नही पहनेगा
अब घर मे छत का पानी नही ठहरेगा
सड़क पर चल रहा बच्चा भीख नही ,
किताबे मांगेगा
हर कोई पढेगा - देश बढेगा
अब भारत जाग रहा है
सुनो भाई भारत जाग रहा है
अब कोई बेटा भारत माँ का सौदा नही करेगा
हर कोई अपने अधिकार और कर्तव्य को निर्वाह करेगा
अब किसी बहेन - बेटी की आबरू नही लुटेगी
अब दहेज़ की बल वेदी टूटेगी
अब सभी मे समता होगी
हर दिल मे प्यार और ममता होगी
अब कोई किसी की रोटी नही छीनेगा
अब देश सिर्फ़
प्रेम
शान्ति
सुख और समृधि
के मोती ही बीनेगा
अब देश जाग रहा है
हर एक व्यक्ति दूसरे के पीछे
जाग्रति मशाल लेकर भाग रहा है
अब भारत जाग रहा है
सुनो भाई भारत जाग रहा है !
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9 टिप्पणियां:
there is a gud sign of optimism but there is a lack of symmetry and be more choosy bout using words
काश यह स्वप्न सच हो जाता। फिलहाल तो दूर दूर तक कोई आशा की किरण, कोई उम्मीद दिखाई ही नहीं देती।
अच्छा है आशावादी होना, बधाई स्वीकार करें।
॥दस्तक॥
गीतों की महफिल
तकनीकी दस्तक
Bahut hi sundar ,shabdon ka pryog ekdum satik...,padh kar aisa laga... अब कोई बेटा भारत माँ का सौदा नही करेगा
हर कोई अपने अधिकार और कर्तव्य को निर्वाह करेगा
अब किसी बहेन - बेटी की आबरू नही लुटेगी
अब दहेज़ की बल वेदी टूटेगी
mera abhiwadan ...mk
आप ने ये तसवीर कहां से ली है जिसमें हिन्दूस्तान का परचम जलाया जा रहा है क्या ये भारतीय संविधान में नागरिकों को अधिकार प्राप्त है कि वह विरोध प्रगट करने के लिये अपने मुल्क का परचम जला सकते है और यदि ये कही हुआ है तो सरकार क्या कर रही है,,,,.............सचमुच हिन्दूस्तान जाग रहा है वाह..........
kabhee jaga tha, kabhee jagega. narayan narayan
सादर अभिवादन
पहले तो हिन्दी ब्लोग के नये साथियों मे आपका ढेर स्वागत है
बीते कुछ दिन मे हमारे आस पास आतंक और घ्रणा का बडा दुखद सा वातावरण रहा
और , कल पाकिस्तान की अति दुखद घटना के बाद एक न्यूज चैनल पे बहुत छोटे बच्चों को हथियारों सहित दिखया , उस पे एक मुक्तक सा लिखने मे आया , देखियेगा
" जिनकी आंखों मे तितली या तोते,चिडिया होने थे
जिन बच्चों के तन पे कपडे बढिया-बढिया होने थे
उनके हाथों मे बन्दूकें , बम , पिस्तौलें थमा दिये
जिन हाथों मे खेल खिलौने ,गुड्डे ,गुडिया होने थे "
सादर
डा. उदय ’ मणि’
http://mainsamayhun.blogspot.com
आज आपका ब्लॉग देखा.... बहुत अच्छा लगा.
मेरी कामना है कि आपका ब्लॉग जन-सामान्य की भावनाओं और सरोकारों की अभिव्यक्ति हां सशक्त माध्यम बने और आपके शब्द निरंतर नई ऊर्जा, अर्थवत्ता और विस्तार पायें.
कभी समय निकाल कर मेरे ब्लॉग पर पधारें-
http://www.hindi-nikash.blogspot.com
शुभकामनाओं के साथ-
आनंदकृष्ण, जबलपुर
मोबाइल : 09425800818
bahut achchhi kalpnaye hai.Shayad har pathak aapki baaton se sahamt ho ga. Nye pariwartan ki jimmewari ek bar phir se lekhakon aur kaviyon ke sir par aan padi hai.Aapne uska badhe hi dhang se nirwahan kiya hai.
Dhanyawad
रमणीय प्रयास ..मेरे ब्लॉग में भी आप आमंत्रित हैं..
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