शुक्रवार, 20 मार्च 2009

तेरे जैसा जन मानस में हुआ ना होगा दिलवाला ,
पहेले नेता फिर सन्यासी फिर से भेष बदल डाला
कर्मचारी को ख्वाब दिखाया एक चार छियासी का ,
अपनी खाली जेबे भरली खेला खेल मदारी का
जैसी करनी वैसी भरनी ,जेल गया वर्दी वाला
पहेले नेता फिर सन्यासी ,फिर से भेष बदल डाला
सन्यासी का ढोंग रचाया फिर निकले जन सेवा को
जनसेवा भी रास ना आई , उल्टे बांस बरेली को
जनसेवा में क्या रखा है , यूँ बोले ढोंगी बाबा
पहेले नेता फिर सन्यासी , फिर से भेष बदल डाला
बाहुबलियों ने मिल करके पूरब को ललकारा है
खट्टे इनके दांत करेंगे ये संकल्प हमारा है
शैत्रवाद नही मकसद मेरा , नही कोई मुद्दा छोड़ा ,
सबको लेकर साथ चलूँगा ब्रिजेश उपाद्याय यूँ बोला
पहेले नेता फिर सन्यासी फिर से भेष बदल डाला
ग्यारह हजार करोड़ रुपए के लालच में भरमाया है
बनके फिर हमदर्द हमारा फिर वाही लुटेरा आया है
खून किया जिसने यकीन का ,प्रहरी था वो घर वाला
पहेले नेता फिर सन्यासी फिर से भेष बदल डाला
चंदर मोहन से चाँद मोहमद फिजा मोहमद हुई बाली
संत स्वरूपा नन्द की आभा मनमोहक थी मतवाली
समरथ को नही दोष गोसाई जब चाहा मन रंग डाला
पहेले नेता फिर सन्यासी फिर से भेष बदल डाला
बड़े बुजुर्गो ने सदियों से हमको ये बतलाया है
झूठ पे होती जीत सत्य की , ऐसा हमें बताया है
अनुभव करो सत्य पहचानो , साईं वचन भी ये बोला
पहेले नेता फिर सन्यासी फिर से भेष बदल डाला

6 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

sundar rachana,

ye word verification hata le to tippani me aasani hogi.

---------------------------"VISHAL"

mark rai ने कहा…

are rechaa jee kaphi dinon baad aapki kavita padhane ko mili ..achha laga ....regular likha kare....

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) ने कहा…

पिछली कविता से हल्की.........शायद व्यंग्य-भाव के कारण........मगर अच्छी प्रस्तुति......!!

नवनीत नीरव ने कहा…

aapki rachna prasangik hai aur sahi samay par prakashit hui.Bahut achchhi lagi.

Unknown ने कहा…

hi...nice to go through your blog...well written...by the way which typing tool are you using for typing in Hindi...?

Now a days typing in an Indian Language is not a big task.
recently i was searching for the user friendly Indian Language typing tool and found .." quillpad ". do u use the same...?

heard that it is much more superior than the Google's indic transliteration..!?

expressing our feelings in our own mother tongue is a great experience...so it is our duty to save, protect,popularize adn communicate in our own mother tongue...
try this, www.quillpad.in

Jai...Ho....

अनिल कान्त ने कहा…

पहेले नेता फिर सन्यासी फिर से भेष बदल डाला
....
bahut achchhi likhi hai ye kavita....ek kataaksh kiya hai ...bahut pasand aaya mujhe