सोमवार, 9 मार्च 2009

ज़िन्दगी !


पता नही की मैंने किसी को क्या समझा दिया
क्या है , ये ज़िन्दगी ये मुझे दुनिया ने बता दिया
सोचता था
इस खुशनुमा तोहफे को जीने की
पर इस तोहफे को
किस्मत ने सलीब में बदल दिया
क्या करू ?
किसी गैर से उम्मीद
जब मेरे अपनों ने ही
मुझे ठुकरा दिया|
मेरे दिल की आवाज़ सुन ना सका कोई ,
किस्मत ने शायद सबको बहरा बना दिया |
हर बार समझौता करता आया ,अपनी हसरतों से
की ख़ुद को एक समझौता बना दिया |
क्या करू ज़िन्दगी से उम्मीद अब
मेरे हालातो ने मुझे
अब जिंदा लाश जो बना दिया !
मेरी इबादत भी मेरे काम न आई फैज़
की इस दुनिया ने मुझे काफिर ही बना दिया |

2 टिप्‍पणियां:

mark rai ने कहा…

मेरे दिल की आवाज़ सुन ना सका कोई ,
किस्मत ने शायद सबको बहरा बना दिया ....
heart touching lines....thanks

बेनामी ने कहा…

हर बार समझौता करता आया ,अपनी हसरतों से
की ख़ुद को एक समझौता बना दिया |

bahut hi khubsurat rachana.

-------------------------"VISHAL"