बुधवार, 4 मार्च 2009
तो क्या हो गया ??????
मुझे मेरे प्यार में धोखा जो मिल गया तो ,
क्या हो गया ?
मेरा जीवन ही बदल गया तो ,
क्या हो गया ?
किससे कहू और क्या शिकायत करू
जो था मेरा ,वो पराया ही हो गया तो
क्या हो गया ?
वो तो चल दिए थामकर हाथ कामियाबी का ऐसे
के , अपनी लाश से सर पीटता मैं रह गया तो
क्या हो गया ?
मेरी सिसकिया भी रोक ना पाई उसे
क्या करू ,बता
मेरे जलने से , रोशन वो हो गया तो
क्या हो गया ?
कभी हँसता था मैं भी ,
दोस्तों पर ठहाको के साथ
आज मैं ,दोस्तों के ठहाको में खो गया तो
क्या हो गया ?
बहुत गुमा था ख़ुद पर, ऐ दोस्त क्या कहू तुझे मैं
आज हम सा नासमझ ना हो गया तो
क्या हो गया ?
चल दिया हूँ मैं
नई राह पर
नए धोखे के साथ
अब वो कहे
की बेवफा ,मैं हो गया तो क्या हो गया
कभी जिया करता मैं भी सुनहले ख्वाब में
वो मेरी रूह को भी मुर्दा कर गया
तो क्या हो गया ?
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3 टिप्पणियां:
बहुत ही अच्छी रचना लगी...आपकी अन्य कवितायें भी बहुत प्रभावित करती है...दिल से धन्यवाद.....
now u have shown how symmetry can effect the emotions nd enhance the strike of words
बहुत खूब आपकी हर रचना बहुत कबीले तारीफ हे........
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