गुरुवार, 3 अप्रैल 2008
भूख .....
किसी ने मुझसे पूछा , भूख क्या होती है ?
तो मैंने कहा ......
अमीर को अपनी अमीरी बढाने की भूख ,
गरीब को अपनी फकीरी घटने की भूख ,
व्यक्ति को व्यक्ति दबाने की भूख ,
उनके हाथो की रोटी छीनकर खाने की भूख ,
एक प्रेमी को है ,सच्चा प्यार पाने की भूख ,
अपना सर्वस्व उस पर लूटाने की भूख |
सच यही तो है, इस पागल ज़माने की भूख !
अपनी इस भूख में सब भूल जाने की भूख !
एक बच्चे को माँ का दूध पाने की भूख
उसकी छाया में सब भूल जाने की भूख
शक्ति से शक्ति बढाने की भूख
इस अंधेरे में सबको काटकर खाने की भूख |
सच यही तो है ,इस पागल ज़माने की भूख !
अपनी इस भूख में सब कुछ भूलाने की भूख !
लेखक को शब्द जोड़कर रखने की भूख ,
नेता को शब्द तोड़कर बकने की भूख ,
रेगिस्तान में प्यासे को एक बूँद चखने की भूख ,
एक भूखे को भूखे पर लात रखने की भूख |
समाज में औरत को नोंच कर खाने की भूख ,
स्त्री को अपना मान बचाने की भूख ,
किसी को है ,इज्ज़त कमाने की भूख ,
किसी को है इज्ज़त गवाने की भूख |
सच यही तो है इस पागल ज़माने की भूख !
अपनी इस भूख में सब कुछ भूलाने की भूख !
शायद मैं उसे समझा पाई हूँ , की क्या होती है भूख ?
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2 टिप्पणियां:
dear Richa, likha to tum ne theek hai ki har kisi ko koi na koi bhookh hai. Par agar ye bhookh na ho to koi bhi aasmaan ki unchaiyo tak na pahuche. Koi bhi kisi ke kaam na aa sake. Fark ye hi hai jo ki ek lau aur aag mein hota hai. Ek zindagi ko roshan karti hai aur doosri zindagi to tabah.
Thodi bhookh to har insaan mein honi hi chahiye warna to koi ehsaas hi nahi rahega.
Likhti to tum accha hi ho. ye kehne ki zaroorat hi nahi hai.
when u write some thing the most important thing is that how u take it,it is a brilliant effort
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