रविवार, 6 अप्रैल 2008

मौत ..........



मौत नही है ....
कोई कागज़ का टुकडा ,
जिस पर कुछ लिख कर मैं ,
मिटा दूँ !

मौत नही है
धूल का उड़ता हुआ, वो कण
जिसे अपने चेहरे से ,पोंछ कर
मैं मिटादू दूँ !

मौत नही है ,कोई
आकाश का उड़ता हुआ ,पंछी
जिसे पकड़कर सलाखों के पीछे
दबा दूँ !

मौत नही है ,अल्हड़ बचपन
जिसे ममता की छांव तले
मैं सुला दूँ !

मौत नही है
दीवार पे लगा हुआ पोस्टर
जिसे मैं अलग -अलग रंगो से ,
सजा दूँ !

मौत नही है , दिए की डगमगाती हुई लौ
जिसे हवा के तेज़ झोको से ,
मैं बचा लू !

मौत तो जीवन की वो अविरल सच्चाई है !
जो आदि से अंत तक निरंतर चलती आई है !