मौत नही है ....
कोई कागज़ का टुकडा ,
जिस पर कुछ लिख कर मैं ,
मिटा दूँ !
मौत नही है 
धूल का उड़ता हुआ, वो कण 
जिसे अपने चेहरे से ,पोंछ कर 
मैं मिटादू दूँ !
मौत नही है ,कोई 
आकाश का उड़ता हुआ ,पंछी 
जिसे पकड़कर सलाखों के पीछे 
दबा दूँ !
मौत नही है ,अल्हड़ बचपन 
जिसे ममता की छांव तले 
मैं सुला दूँ !
मौत नही है 
दीवार पे लगा हुआ पोस्टर
जिसे मैं अलग -अलग रंगो से ,
सजा दूँ !
मौत नही है , दिए की डगमगाती हुई लौ
जिसे हवा के तेज़ झोको से ,
मैं बचा लू !
मौत तो जीवन की वो अविरल सच्चाई है !
जो आदि से अंत तक निरंतर चलती आई है !